कोयला/लिग्नाइट पीएसयू ने देश की बढ़ती ऊर्जा मांग को पूरा करने के लिए पिछले कुछ वर्षों में न केवल अपने उत्पादन स्तर में वृद्धि की है बल्कि खनित क्षेत्रों के उद्धार और कोयला धारक क्षेत्रों में और उसके आसपास व्यापक वृक्षारोपण सहित विभिन्न शमन उपायों को अपनाकर स्थानीय पर्यावरण के प्रति अपनी संवेदनशीलता और चिंता भी दिखाई है।
कोयला / लिग्नाइट पीएसयू की हरित पहलें
खनन के बाद के भूमि उपयोगों के स्थायित्व एवं उत्पादकता के लिए खनन द्वारा अव्यवस्थित भूमि को वापस लौटाना पर्यावरणीय प्रबंधन की मौलिक जिम्मेदारी है। इसका आशय यह है कि खनित भूमि और ओवरबर्डन डंपोंके पारिस्थितिकीय पुनरूद्धार, खानों में तथा खानों के आस-पास वृक्षारोपण, एवेन्यू वृक्षारोपण, और वनस्पति एवं जीव-जंतुओं के पुनर्स्थापन जैसे कार्यकलाप इस उद्देश्य से चलते रहने चाहिए कि खनन के बंद होने के बाद खनन फूटप्रिंट हल्के हों।
कोयला/लिग्नाइट पीएसयू अपनी प्रचालनरत खानों में और खानों के आस-पास के क्षेत्रों में सतत पुनरूद्धार और वनीकरण के माध्यम से कोयला खनन के फूटप्रिंटों को कम करने के लिए निरंतर और ईमानदारी से प्रयास कर रहे हैं। बेहतर रूप से तैयार और अनुमोदित खान समापन योजनाओं के अनुसार विभिन्न खानों में पुनरूद्धार कार्यकलाप किए जा रहे हैं जिसमें प्रगतिशील और अंतिम खान समापन कार्यकलापों के संबंध में विस्तृत प्रावधान हैं।
सक्रिय खनन क्षेत्र के अलग होते ही खनित क्षेत्रों, ओबी डंपों और अन्य अव्यवस्थित क्षेत्रों का समवर्ती रूप से पुनरूद्धार किया जाता है। शीर्ष मिट्टी को अलग कर दिया जाता है और इसे बैकफ़िलिंग तथा समवर्ती पुनरूद्धार शुरू होते ही खान के भीतर उपयोग के लिए स्पष्ट रूप से सीमांकित क्षेत्र में संग्रहित किया जाता है। विशेषज्ञ एजेंसियों अर्थात् राज्य वन विकास कॉर्पोरेशन के माध्यम से बाह्य और आंतरिक दोनों डंपों में तीन स्तरीय जैविक पुनरूद्धार किया जाता है। एसएफडीसी, आईसीएफआरई, एनइइआरआई आदि जैसेी विशेष एजेंसियों के साथ परामर्श करके जैविक पुनरूद्धार के प्रकार का चयन किया जाता है।





खनित क्षेत्रों के जैविक-पुनरूद्धार के अतिरिक्त, वायु प्रदूषण को कम करने के लिए खान, अवसंरचना और सड़क जैसे वायु प्रदूषण के स्रोतों के आस-पास ग्रीन-बेल्ट का सृजन भी किया जाता है। ध्वनि क्षीणता के लिए खान के आस-पास और आवासीय कालोनी में भी ग्रीन-बेल्ट की सुविधा प्रदान की जाती है।
भूमि के पुनरूद्धार के लिए उपग्रह निगरानी
संधारणीय विकास के लिए खनिक क्षेत्रों का पुनरूद्धार महत्वपूर्ण है। समुचित पुनरूद्धार पर बल दिया जा रहा है जिसमें तकनीकी तथा जैविक पुनरूद्धार तथा माइन क्लोजर दोनों शामिल है। भूमि पुनरूद्धार हेतु उपग्रह निगरानी पर अपेक्षित बल दिया जा रहा है ताकि भूमि पुनरूद्धार की स्थिति की प्रगति का आकलन किया जा सके तथा पर्यावरणीय सुरक्षा हेतु अपेक्षित निदानात्मक उपाय किए जा सकें।
वित्त वर्ष 2022-23 में, सीआईएल की 125 खानों/कलस्टौरों का सेटेलाइट आंकड़ों के आधार पर इमेज विश्लेषण कर रहा है। एससीसीएल की सभी 20 ओपनकास्ट खानों ओर एनएलसीआईएल की सभी 5 ओपनकास्ट खानों में प्रगामी पुनरूद्धार कार्यकलापों की उपग्रह निगरानी की जा रही है।



ग्रीन कवर का सृजन
मार्च, 2021 तक, कोयला/लिग्नाइट पीएसयू 135 मिलियन से अधिक वृक्षों के वृक्षारोपण द्वारा लगभग 56,000 हेक्टेयर भूमि को हरित आवरण के अंतर्गत ले आए हैं।
कोयला / लिग्नाइट पीएसयू ने लगभग 30,000 हैक्टेयर के अतिरिक्त क्षेत्र (कोलफील्ड्स में और इसके आस-पास) में वर्ष 2030 तक पौधरोपण करने की परिकल्पना की है, इसलिए पर्याप्त रूप से कार्बन सिंक को बढ़ाया जा रहा है।
खनित क्षेत्रों के जैव-पुनरूद्धार और कोयला खानों में और उसके आसपास मुक्त क्षेत्रों में वृक्षारोपण के मोर्चे पर कोयला/लिग्नाइट पीएसयू की उपलब्धियां:
• कोयला/लिग्नाइट पीएसयू वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान 47 लाख से अधिक पौधे लगाकर लगभग 2150 हेक्टेयर भूमि को हरित आवरण के अंतर्गत लाए हैं।
• वित्त वर्ष 2019-20 से वित्त वर्ष 2022-23 के बीच 7600 हेक्टेयर और 176 लाख पौधों के लक्ष्य के मुकाबले 7986 हेक्टेयर और 179 लाख पौधे (नवंबर 2022 तक) के रोपण की संचयी उपलब्धि।