कोयला भंडारों के समाप्ति के बाद, खनन क्षेत्रों से ईको पार्क के विकास, वाटर स्पोर्ट्स के लिए स्थल, भूमिगत भ्रमण, गोल्फ मैदान,मनोविनोद के एवेन्यूज, एडवेंचर, पक्षियों को देखना आदि के माध्यम से पर्यटन को बढ़ावा देने की अच्छी संभावनाएं हैं। पिछले कुछ वर्षों में, कोयला कंपनियों/लिग्नाइट पीएसयू ने संधारणीय खान बंद करने संबंधी पद्धति द्वारा 30 से अधिक ईको-पार्क विकसित किए हैं। ये खनन क्षेत्र अब स्थिर, पर्यावरणीय रूप से संधारणीय हैं और सौंदर्य की दृष्टि से एक अत्यंत खूबसूरत स्थल हैं।






इनमें से कुछ स्थलों को पहले ही स्थानीय पर्यटन सर्किट के साथ एकीकृत किया जा चुका है तथा कोयला कंपनियां अन्य पार्कों के एकीकरण के लिए संबंधित राज्य के पर्यटन विभागों के साथ परामर्श कर रही हैं। इन स्थलों से आत्मनिर्भरता हेतु राजस्व सृजन और स्थानीय लोगों हेतु रोजगार क्षमता उत्पन्न होने की संभावना है।
• एनएलसीआईएल ने माइन-I और माइन-II में इको-टूरिज्म को बढ़ावा देने और सतत खनन गतिविधियों को दर्शाने के लिए 05.10.2022 को पांडिचेरी पर्यटन विकास निगम (पीटीडीसी) के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
• एनसीएल ने सिंगरौली इको-टूरिज्म सर्किट को बढ़ावा देने के लिए मध्य प्रदेश पर्यटन बोर्ड के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
• इको-टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए डब्ल्यूसीएल ने पर्यटन निदेशालय, महाराष्ट्र के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
खान पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ईको-पार्क/पर्यटन का विकास करना कोयला मंत्रालय के एसडीसी और जेटी अनुभाग एवं कोयला कंपनियों द्वारा ध्यान दिए जाने वाले प्रमुख क्षेत्रों में से एक है। कोयला/लिग्नाइट पीएसयू ने पिछले 3 वर्षों में 8 ईको-पार्क का कार्य पूरा कर लिया है। आने वाले 4-5वर्षों में, 30 नए ईको-पार्क/पर्यटन-स्थल बनाने की परिकल्पना की गई है। ईको पार्क हेतु स्थल चिह्नित कर लिए गए हैं एवं कोयला कंपनियों द्वारा पहले से ही प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है।
