कोयला – भारतीय ऊर्जा विकल्प
कोयला भारत में सबसे महत्वपूर्ण तथा प्रचुर मात्रा में जीवाश्य ईंधन है। यह देश की ऊर्जा मांग का 55% है। देश की औद्योगिक विरासत स्वदेशी कोयले पर विकसित हुई थी।
पिछले चार दशकों में भारत में वाणिज्यिक प्राथमिक ऊर्जा खपत में लगभग 700% वृद्धि हुई है। भारत में इस समय वाणिज्यिक प्राथमिक ऊर्जा प्रति व्यक्ति खपत लगभग 350 किलो ओई/प्रति वर्ष है जो विकसित देशों की अपेक्षा काफी कम है। बढ़ती हुई जनसंख्या, अर्थव्यवस्था के विस्तार और जीवन की बेहतर गुणवत्ता के प्रयासों से प्रेरित भारत में ऊर्जा का उपयोग बढ़ने की संभावना है। पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस की सीमित भंडार क्षमता, जल विद्युत परियोजना पर पारिस्थितिकीय संरक्षण प्रतिबंध और परमाणु ऊर्जा के भौगोलिक राजनैतिक दृष्टिकोण पर विचार करते हुए कोयला भारत के ऊर्जा परिदृश्य का केन्द्र बिन्दु बना रहेगा।
भारतीय कोयला अगली शताब्दी और उसके बाद भी घरेलू ऊर्जा बाजार के लिए अद्वितीय पारिस्थितिकीय दृष्टि से अनुकूल ईंधन स्रोत बना रहेगा। 27 प्रमुख कोलफील्डों में उपलब्ध हार्ड कोयला भंडार मुख्यत: देश के पूर्वी तथा दक्षिण मध्य भागों तक सीमित हैं (देखें कोयला भंडार) लिग्नाइट भंडार लगभग 36 बिलियन टन है जिसमें से 90% तमिलनाडु दक्षिण राज्य में है।